कमल लोचन सिंह की रिपोर्ट,
गोमिया: कहा जाता है कि कला किसी व्यक्ति, उम्र और स्थान का मोहताज नहीं होती बल्कि यह साधना से उत्पन्न होती है. इस बात को सच साबित कर दिखाया है प्रखण्ड के सारम पश्चिमी पंचायत के बाजार टांड़ के रहने वाले एक दवा विक्रेता समीर कुमार ने.
अपनी दमदार आवाज और अभ्यास के दम पर किसी भी पार्श्व गायक के गानों को गाकर लोगों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं. सबसे अजीब बात है कि गानों को गाने के लिए ये किसी रंगमंच या अवसर की तलाश नहीं करते बल्कि अपने दवा दुकान में रखे साउंड बाॅक्स तथा माइक्रोफोन पर मोबाइल फोन पर कराओके एप के सहारे गायन का कार्य करते हैं.
दुकान पर खाली बैठे समय में एक से बढ़कर एक गाने गाकर अपने साथ -साथ वहाँ से गुजरने वाले लोगों का मनोरंजन करते रहते हैं इसी बीच अपने ग्राहकों की सेवा करने से नहीं चुकते.
उनकी इस अलग तरह की शौक के सभी दीवाने हो रहे हैं.
इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनका स्कूल- काॅलेज के समय से गाना गाने में रूचि थी जिसको वे आज भी उतनी ही मेहनत से संजोये हुए हैं.
आगे उन्होंने बताया कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में उनके जैसे कई प्रतिभाशाली युवक हैं जो अच्छे अवसर की तलाश में भटकते रहते हैं. ऐसे में उनके कला को परखने की जरुरत है ताकि उन्हें सही स्थान मिल सके.
उनकी कला प्रदर्शन का कुछ अंश प्रस्तुत किया गया है..