कथारा संवाददाता पवन कुमार सिंह का रिपोर्ट-
श्रमिकों कालौनियो में सफाई, घर घर कूड़े का उठाव और झाड़ू लगना हुआ शुरू
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कथारा वाशरी परियोजना को संसाधन उपलब्ध और बंद कथारा कोलियरी चालू कराने को लेकर हो रहा है प्रक्रिया
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कथारा। महाप्रबंधक कथारा क्षेत्र के रूप में हर्षद दातार कुछ समय पूर्व ही योगदान दिए हैं। लेकिन इतने कम समय मे उनके कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा सभी जगह होने लगी है। वही क्षेत्र में बदलाव का बयार दिखना शुरू भी हो गया है। श्रमिको के रहने वाले इलाके में जोर शोर से गंदगी के अंबार की सफाई का काम हो रहा है। वही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, कालौनी में सड़क और समुचित लाईट को दुरुस्त कराने को लेकर भी कार्य होता दिख रहा है। वही महाप्रबंधक श्रीदातार से जो भी व्यक्ति अपने कार्य के संबंध में उनके कार्यालय कक्ष में पहुंचकर अपनी बात रखने का काम कर रहे हैं। प्रवधान के अनुरूप अगर कार्य होने वाला होता है फिर इसपर त्वरित कार्रवाई होती है। वही अगर मामले में नियमन के अनुसार नही किए जाने की स्थिति पर कागजी दस्तावेजों को लटकाने, टालने अथवा अटकाने की जगह सीधे सच्चाई बता देने का काम होता है। नवनियुक्त महाप्रबंधक श्रीदातार आपने पदस्थापना के साथ ही परियोजना के बंदी का सामना करते हैं। वे सीधे आंदोलन करने वालो तक संदेश देने का काम करते हैं कि प्रवधान के विपरीत किसी भी प्रकार के दवाब में कोई कार्य नही करेंगे। वही इस बात का भी इल्म कराने से नही चूकते कि अगर मामले में मेरिट है। फिर किसी भी प्रकार का आंदोलन की कोई जरूरत नही। दस्तावेजों को तथ्यों के साथ रखने का काम हो, समाधान लायक परिस्थिति होगी फिर इसका सहजता से निपटारा होगा। वही महाप्रबंधक श्रीदातार श्रमिको को मिलने वाली सुविधाओं को उपलब्ध कराने को लेकर भी पूरे प्रतिबद्ध नज़र आते हैं। श्रमिको के रहने वाले इलाके की साफ सफाई हो अथवा पीने के लिए पानी, सड़क, स्ट्रीट लाईट की सुविधा। सभी चीजों पर काम होता दिख रहा है । वर्तमान में जिस प्रकार सभी कालौनी की साफ सफाई कार्य हो रही है, यहां तक की कूड़ा का घर से उठाव और झाड़ू लगाकर साफ करने का काम हो रहा है। इससे मजदूर वर्ग के लोग में काफी खुशी है। विभिन्न बैठकों अथवा मुलाकात के अवसर पर श्रीदातार कहते भी है कि किसी को कोई भी समस्या हो, सीधे वे कार्यालय कक्ष में आकर मिलकर अपनी बात रखे। प्रबंधन के द्वारा पूरी तरह सकारात्मक रुख अख्तियार करके समाधान का प्रयास होगा। महाप्रबंधक श्रीदातार के लिए जो परेशानी और चुनौती का सबब है वह यह कि कथारा कोलियरी परियोजना सीटीओ के अभाव में बंद है। वही कोयला के अभाव में वाशरी परियोजना का उत्पादन कार्य भी ठप सा है। वही जारंगडीह कोलियरी परियोजना का विस्तारीकरण और रैयतों के मुआवजा का दावा का समाधान भी खासा चुनौती भरा कार्य है। इस मामले में भी श्रीदातार जिस प्रकार बैठकों का सिलसिला करते हुए कभी रैयतों की टोली, कभी अधिकारियों की टोली के साथ गहन विचार विमर्श कर प्रवधान और परिस्थितियों के अनुरूप रास्ता बनाते हुए सतत प्रयास करते दिखते हैं। इससे क्षेत्र में उनके अलग हटकर कार्यप्रणाली की भी चर्चा होने लगी है।