रिपोर्ट:दानिश पटेल
बिहार : मधुबनी जिला पंडौल प्रखंड अंतर्गत किरण टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,उत्तर पूर्व क्षेत्र बिहार झारखंड का संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष और साथ में उत्तर बिहार प्रांत का प्रथम वर्ष 20 दिनों के लिए प्रारंभ हुआ । दोनों प्रशिक्षण वर्ग का विधिवत उद्घाटन क्रमशः द्वितीय वर्ष में मान्यवर क्षेत्र प्रचारक रामनवमी प्रसाद जी तथा प्रथम वर्ष में प्रांत प्रचारक श्रीमान रवि शंकर जी के द्वारा किया गया । 20 दिवसीय संघ साधना का विधिवत उद्घाटन भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर शंख उद्घोष मंत्रोच्चारण के साथ किया गया
संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष में वर्गाधिकारी के रूप में प्रांत के कुटुंब प्रबोधन संयोजक डॉ दिवाकर राय तथा द्वितीय वर्ष में सर्वाधिकारी के रूप में प्रांत संघचालक झारखंड , सच्चिदानंद लाल जी रहने वाले हैं। क्षेत्र प्रचारक श्रीमान रामनवमी प्रसाद जी ने वर्ग में आए शिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए बताया यह प्रशिक्षण वर्ग संघ के स्वयंसेवकों के लिए "मैं से हम" बनने की यात्रा है। जहां से मैं का भाव घटना प्रारंभ करता है और हम का भाव के बीज का अंकुरित होना पप्रारंभ होता है वहां से स्वयंसेवक बनने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है और एक स्वयंसेवक अर्थात मनसा वाचा कर्मणा जब एक व्यक्ति अंतर्मन में उस समग्रता के भाव को,जिसमें पहले व्यक्ति का परिष्करण फिर समाज का परिष्करण और उसके बाद राष्ट्र के उन्नयन की चिंता एवं प्रक्रिया प्रारंभ होती है जहां से व्यक्ति का परिष्करण होता है और वहीं से समाज स्वयं उत्कृष्टता को धारण करता है और राष्ट्र परम वैभव के मार्ग पर आगे बढ़ता है। जैसा व्यक्ति वैसा राष्ट्र व्यक्ति तन और मन से स्वस्थ होगा तो उसके विचार स्वस्थ होंगे उसके संस्कार स्वस्थ होंगे वह प्रज्ञावान बनेगा राष्ट्र की संपत्ति बनेगा और वह राष्ट्र सदैव सिरमौर बना रहेगा और ऐसे ही व्यक्ति का निर्माण जो प्रकृति का संरक्षण पोषण कर तालमेल बिठाकर चल सके संघ के प्रशिक्षण वर्ग का उद्देश्य है। 21 मई के संध्या से 11 जून के प्रातः तक चलने वाले इस वर्ग में द्वितीय वर्ष में 185 शिक्षार्थी एवं 14 शिक्षक हैं वहीं प्रथम वर्ष में 179 शिक्षार्थी एवं 17 शिक्षक हैं। प्रबंधन में वर्ग के सुव्यवस्थित संचालन हेतु 60 से अधिक कार्यकर्ता वर्ग के अंदर दिन रात लगे रहते हैं। संघ के संस्कार और के प्रशिक्षण वर्ग की विशेषता इस बात से समझी जा सकती है कि प्रत्येक दिन रात्रि के भोजन हेतु अलग-अलग गांवों से माताओं के हाथों की रोटियां आनी है जिसमें प्रतिदिन 300 परिवार 10 रोटी प्रति परिवार रोटियां आती है और इस प्रकार पूरे वर्ग में 6000 परिवार से अधिक तक संपर्क की योजना है। और यह प्रशिक्षण वर्ग पूरे भारतवर्ष में सभी प्रांतों में एवं केंद्रीय स्तर पर संघ की स्थापना काल से ही प्रत्येक वर्ष रूटीन वर्क का हिस्सा है। जिसमें प्रांतीय क्षेत्रीय एवं केंद्रीय अधिकारी का मार्गदर्शन प्राप्त होता है ।