गोमिया। गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती चुट्टे पंचायत में बीती देर शाम एक नवविवाहित युवक की अचानक हुए संदिग्ध मौत से गाँव में मातम पसर गया।
घटना चुट्टे पंचायत के बड़की खरना का है जहाँ के प्रयाग महतो के 26 वर्षीय पुत्र जीतन महतो की संदिग्ध मौत बीती देर शाम उनके ही पैत्रिक आवास में हो गई। घटना के संबंध में मृतक के पिता प्रयाग महतो ने बताया कि मृतक का विवाह बीते 8 मई 2021 को हुआ था। मृतक शनिवार की शाम अपने गाँव के हीं किसी मित्र की शादी समारोह में शामिल होने पेटरवार के भवानीपुर गया था और बुधवार को लौटा था। पिता ने बताया कि लौटने उपरांत वह अपने आवास स्थित कुएं में नहाने के बाद कमरे में जाकर सो गया। थोड़ी देर बाद जब उसका भगिना उसे उठाने गया तो शरीर में कोई हरकत नहीं होता देख इसकी सुचना परिजनों को दी। जिसके बाद एक पारिवारिक चिकित्सक ने हीं प्राथमिक जांच उपरांत उसकी मौत होने की पुष्टि की। जिसके बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
परिजनों ने बताया कि 8 मई को उसका विवाह हुआ था और आज (सोमवार) हीं शादी के 15 दिन बाद एक वैवाहिक परंपरागत रश्म सोहरैया लियान का कार्यक्रम घर में आयोजन होना था, जिसमें वधू पक्ष के लोग वर पक्ष के यहाँ आकर वर-वधू को अपने साथ मायके ले जाने की रश्म अदायगी की जाती है। लेकिन रश्म के पूर्व संध्या को ही युवक की मृत्यु होने से दोनों के परिजन अब सदमे में है। परिजनों ने मृतक में किसी प्रकार की बीमारी से भी इनकार किया है।
ग्रामीणों ने स्वास्थ्य व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों पर उठाए सवाल ?
खरना गाँव के ग्रामीणों ने कहा कि आजादी के कई दशक बीत गए। समय के साथ चुने हुए जनप्रतिनिधि भी बदलते रहे लेकिन अगर कुछ नहीं बदली तो वो है गाँव की परिस्थति और उनके हालात। नाम नहीं प्रकाशित करने के शर्त पर बताया गया कि क्षेत्र में अवस्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र चुट्टे भी शासन की उपेक्षा व प्रशासन की निष्क्रियता के कारन जर्जर हालत में है। बताया कि कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों में होने वाले अप्रत्याशित मौत या प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले मौत या अन्य अप्राकृतिक मौतों पर भले हीं चुने हुए जनप्रतिनिधि कथित रूप से शोक सांत्वना प्रकट कर ले परंतु इसके वास्तविक जिम्मेदार वो ही हैं। अगर स्वास्थ्य केंद्र चालू अवस्था में होते या शासन प्रशासन के द्वारा इस दिशा में पहल की जाती तो अब तक सैकड़ों जानें बचाई जा सकती थी जो असमय काल के गाल में समा गये या कहें समां दिए गये।
इसीप्रकार बताया गया कि कोरोना काल में ग्रामीण इलाकों की स्थिति बहुत हीं खराब है। अगर निजी प्रैक्टिशनर या पढे-लिखे लोग नहीं होते तो मौतों की गिनती नहीं थमती। हर घर में एक-दो लोग बीमार हैं। विभाग से कई मर्तवा मांग किया गया कि गोमिया प्रखंड के सुदूरवर्ती व उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ध्यान दें। इस तरह मरनासन्न स्थिति में छोड़ देना अच्छी बात नहीं है। क्षेत्र में वायरल फीवर, मलेरिया, टाईफायड, कोविड सभी तरह की बीमारियां आ चुकी हैं, जिससे लोग अंजान हैं। विभाग शिविर लगाकर टेस्टिंग, वेक्सिन के साथ स्वास्थ्य जांच कर दवाईयों का वितरण करे। लेकिन अब तक न तो इस ओंर शासन ने झाकना उचित समझा न तो प्रशासन ने ताकना।
चुनाव बीत गया तो छोड़ दिया गया हमें मरणासन्न हालत में..!!