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कोरोना महामारी के कारण,माँ रक्षकली पूजो की प्राचीन प्रथा को रोकना चाहिए

location_on Pandebeshwar, West Bengal access_time 09-May-21, 11:45 AM

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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़, पांडवेश्वर : आज से करीब 150 साल पहले पांडवेश्वर मे माँ रक्षाकाली की पुजा की शुरुआत हुई थी। कहा जाता है कि उस समय पांडवेश्वर मे हैजा की महामारी फैली थी जिससे भारी संख्या मे लोगों की मौते हो रही थीं। उस वक्त तत्कालीन जमीदार ने माँ रक्षाकाली की पुजा की शुरुआत की। सबसे पहले एक छोटी सी कुटिया से मा की पुजा की शुरुआत हुई। इलाके के भट्टाचार्य परिवार के सदस्य वर्षो से यह काम करते आये हैं। कहा जाता सै कि महामारी से बचने के लिए इस पुजा की शुरुआत की गयी थी और आश्चर्यजनक रुप से माँ रक्षाकाली की पुजा की शुरुआत होते ही इलाके से महामारी का प्रकोप कम होने लगा। इलाके के लोगों को महामारी से निजात मिली। तभी से माँ रक्षाकाली की पुजा होती आ रही है। प्राचीन काल से ही सभी नियमो का पालन करते हुए बांगला बैशाख महीने के अमावस्या मे माँ की पुजा की जाती है। मगर इस बार कोरोना की दुसरी लहर को देखते हुए कई प्राचीन रिवाजो को बंद कर दिया गया है। बलिदान पुजा अर्चना के साथ भोग वितरण को भी बंद कर दिया गया है। पुजा कमिटि के संपादक उत्पल चैटर्जी ने कहा कि माँ की पुजा तो होगी मगर कोरोना के कारण कई अनुष्ठानों को बंद कर दिया गया है। पुजा भी कोरोना से संबंधित सभी नियमो का पालन करते हुए की जाएगी । रिवाज के अनुसार अमावस्या मे ही मा की पुजा की जाएगी। इलाके के वरिष्ठ नागरिक और अधिवक्ता जितेन चैटर्जी ने कहा कि कहा जाता है कि एकबार माँ ने पांडवेश्वर के लोगों को हैजा महामारी से बचाव किया था । माँ से प्रार्थना है कि कोरोना से पांडवेश्वर वासीयो को मुक्ति दें।




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