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मुख्तार अंसारी से जुड़े मामले को लेकर गोदी मीडिया द्वारा संचालित किए जा रहे उनसे जुड़े दुष्प्रचार।

location_on Uttarpradesh access_time 07-Apr-21, 10:57 PM

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मुख़्तार के दादा डॉ. मुख़्तार अहमद अंसारी महान स्वतंत्रता सेनानी थे वे 1927–28 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। मुख़्तार के पिता सुभान अल्लाह अंसारी ने देश की आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था। उनके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान महावीर चक्र विजेता हैं उन्हें ‘नौशेरा का शेर’ कहा जाता है। कुछ वर्षो पहले मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को फटकारते हुए कहा था कि आप मुख्तार के परिवार को नहीं जानते कि वह कितना प्रतिष्ठित परिवार है। मुलायम के इस बयान पर भारतीय मीडिया के जाहिल एंकर्स टूट पड़े, और मनमाने तरीक़े से अपनी कुंठा निकालने लगे। वही जाहिल एंकर्स एक बार फिर अपनी कुंठा दिखा रहे हैं। सर से लेकर पांव तक कुंठाग्रस्त हो चुके मीडिया के ये एंकर अदालत के निर्णय से पहले ही मुख़्तार अंसारी को अपराधी घोषित कर चुके हैं, हालांकि अभी कोर्ट ने मख़्तार अंसारी को मुजरिम करार नहीं दिया है। सत्ताधारी दल एंव उसके एंकर्स पूरी रात मुख़्तार की गाड़ी 'पलटने' के इंतज़ार में जागते रहे। यूपी में सत्तासीन दल के कई नेता खुले मंच से चटखारे लेकर अपनी मंशा ज़ाहिर करते रहे कि गाड़ी 'पलट' जाती है। ऐसा क्यों है? क्या क़ानून और न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है? मुख़्तार अंसारी 15 वर्ष से भी अधिक समय से जेल में हैं और अदालत के ट्रायल का सामना कर रहे हैं। लेकिन सत्ताधारी दल के नेताओं ने तो सरकार में आते ही अपने ऊपर लगे मुक़दमों का ट्रायल कराना भी जरूरी नहीं समझा, और अपने ऊपर लगे मुकदमे खुद ही 'जज' बनकर वापस कर लिए। लेकिन यह 'प्रावधान' मुख़्तार अंसारी के लिए नहीं है, एक तो वो 'मुख़्तार' हैं, दूसरा वे सिर्फ विधायक हैं। अगर मुख्यमंत्री होते तब शायद वे भी खुद पर लगे मुकदमे खुद ही जज बनकर वापस कर लेते। मुख़्तार के पास सिर्फ न्यायपालिका है, जिसका वे सामना भी कर रहे हैं। लेकिन उन्हें क्या कहें जिन्हें अदालत पर भरोसा नहीं, और अदालत के निर्णय से पहले ही मुख़्तार की गाड़ी 'पलटने' का इंतज़ार कर रहे हैं? मुख़्तार अंसारी अमर नहीं हैं, मुख़्तार अंसारी फरिश्ता भी नहीं हैं, जो हर गुनाह से पाक हों। और यह भी सच है कि फिलवक़्त मुख़्तार अंसारी मुजरिम भी नहीं बल्कि मुलजिम हैं, हिंदी में कहें तो अभियुक्त हैं अपराधी नहीं हैं। मुख़्तार की 'गाड़ी पलटने' का इंतज़ार अदालत को ताक पर रखने जैसा है। गाड़ी पलटना न्यायपालिका और लोकतंत्र के वजूद को सीधी चुनौती है। #MukhtarAnsari #मुख्तार_अंसारी




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