शब ए बरा'अत के मुबारक मौके पर लोगों ने हज़रत कमर अली सुल्तान की दरगाह पर जाकर बिहार व देश में अमन व शांति की दुआ की। लोगों ने दरगाह की ज़ियारत की और अपने आब व अजदाद के लिए दुआ ए मग़फ़िरत मांगी। हमज़ापुर के सैय्यद शाहिद ने शब ए बरा'अत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा के दुनियाँ भर में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। वे इस त्योहार को इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शाबान महीने की 14वीं और 15वीं रात को मनाते हैं। शब ए बरा'अत को इबादत का त्योहार कहा जाता है। इसे प्रार्थना की रात भी कहा जाता है। त्योहार के नाम में दो महत्वपूर्ण शब्द हैं, 'शब' का अर्थ रात और 'बरा'अत' का अर्थ बरी है। शब ए बरा'अत की रात में मुसलमान अपने रिश्तेदारों और दोस्तों की कब्रों पर जाकर उनके लिए दुआएं मांगते हैं। इसके अलावा अपने किए गुनाहों से भी तौबा करते हैं। शब ए बरा'अत के मौके पर कई मुसलमान दो दिनों का उपवास भी रखते हैं। सैय्यद दानिश ने बताया के एक तरह से ये रमज़ान के रोज़े रखने की तैयारी है।