राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष मो0 ख़ालिद ने सेना के बारे में बताते हुए कहा कि 7 दिसंबर का दिन सेना और इसके जवानों के लिए काफी खास माना जाता रहा है। 1949 में पहली बार इस दिन को मनाया गया था। तब से लेकर आज तक ये निरंतर मनाया जा रहा है। ये दिन हमें इस बात का भी अहसास दिलाता है कि सीमा पर मुश्किल हालातों में डटे जवानों के परिजनों के लिए हम भी दूसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इस दिन को मनाने के पीछे तीन अहम मकसद हैं। इनमें पहला मकसद युद्ध के दौरान होने वाली हानि में सहयोग करना, दूसरा मकसद सेना के जवानों और उनके परिवारों की मुश्किल हालात में मदद करना, तीसरा मकसद रिटायर हो चुके जवानों और उनके परिवार का कल्याण करना। 28 अगस्त 1949 को तत्कालीन पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार द्वारा भारतीय सेना के जवानों के कल्याण के लिए धन एकत्रित करने के मकसद से एक कमेटी का गठन किया गया था। इसकी सिफारिशों के बाद ही 7 दिसंबर को इस दिन के लिए चुना गया। इस दिन को मनाने का एक बड़ा मकसद ये भी था कि देश की जनता अपने बहादुर सैनिकों के प्रति अपना आभार व्यक्त कर सके और साथ ही उन्हें इस बात का भी अहसास हो सके कि उनकी और उनके परिवार की मदद करना कितना जरूरी है। सेना के जवानों की मदद और उनके कल्याण के लिए ये दिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी मनाया जाता है। इसमें ब्रिटेन जहां इसकी शुरुआत 1956 में हुई थी, इसके अलावा साइप्रस, केन्या और नाइजीरिया शामिल हैं।