भारतीय जनता मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष, श्री धर्मेंद्र तिवारी ने आज नामकुम, सिदरौल स्थित कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति अत्यंत चिन्ताजनक है।
भारतीय जनता मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष, श्री धर्मेंद्र तिवारी ने आज नामकुम, सिदरौल स्थित कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति अत्यंत चिन्ताजनक है। एक ओर जहाँ कोविड-19 महामारी के शिकार हुए मरीज का ईलाज समुचित रूप से नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी ओर सामान्य मरीजों के साथ-साथ दूसरे गंभीर रोगों से ग्रस्त मरीजो का इलाज भी सरकारी अस्पतालों में नहीं के बराबर हो रहा है। जिसके कारण राज्य की गरीब जनता बेबस और लाचार बने हुए है। निजी अस्पतालों का मनमाना फीस, मंहगी दवाई के खर्च का भार उठाने में राज्य की आम गरीब जनता असमर्थ है। करोना के लिये इलाज के लिए निजी अस्पताल का एक दिन का खर्च लगभग 50 से 60 हजार रूपये आता है। जब इस महामारी की दवा नहीं बनी है किस तरह की दवा दी जा रही है कौन सी दवा दी जा रही है कि बिल अधिक आ रहा है मरीज के अस्पताल से डिस्चार्ज होते होते बिल की राशि लगभग चार से पाँच लाख रूपये तक पहुँच जाती है, जिसे चुकाने के लिये बी.पी.एल. परिवार, कृषक, मजदूर वर्ग अपनी जमीन/घर/गहने को बेच अथवा गिरवी रख रहे है। महामारी अधिनियम देश भर में लागू होने के बाद भी राज्य के निजी अस्पताल गरीब जनता को लूट रहे और हेमंत सरकार मूकदर्शक बनी हुई है और इस मानवीय संवेदना से परिपूर्ण मुद्दे पर गंभीर नहीं हो रही है। निजी अस्पताल का बिल नहीं देने पर परिजन को बंधक बनाने की अनेक शिकायतें प्रायः राज्य के अखबारों में छप रही है। हमारे पड़ोसी राज्यों ने कोरोना इलाज की दरें तय कर दी है। झारखण्ड सरकार को भी उनका अनुसरण कर यथाशीघ्र कोरोना इलाज की रियायत दर घोषित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकारी और निजी अस्पताल दोनों ही सरकार के नियंत्रण से बाहर है। हेमंत सरकार राज्य के जनता को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था प्रदान करने में पूरी तरह विफल रही है। डाॅक्टर, नर्स एवं मेडिकल प्रबंधन अपनी कत्र्तव्यों का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर रहे है, जिसका खमियाजा राज्य की गरीब जनता भुगत रही है। रिम्स जैसे बड़े राज्यस्तरीय सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ जिले के सदर अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर गरीब मरीजों के साथ भेदभाव हो रहा है।
उन्होंने बताया कि सरकार के साथ-साथ विपक्ष भी स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दे के प्रति उदासीन है। इस पूरे कोरोना काल के दौरान विपक्ष ने स्वास्थ्य के मुद्दे पर एक बार भी सरकार को जनता के कटघरे में खड़ा नहीं किया। गरीब जनता बेहतर इलाज के अभाव में असमय ही काल के गाल में समाते जा रहे है। शासन, सरकारी मशीनरी और विपक्ष अपनी-अपनी आँख, कान और मुँह बंद किये बैठे हैं। आखिर राज्य की गरीब एवं बेबस जनता किससे शिकायत करे, किससे अपनी दुखड़ा सुनाये ? जबकि एक आदर्श लोकतंत्र में सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह एवं विपक्ष को राज्य के सभी मुद्दों का चेहरा बनना चाहिए। परन्तु लगता है कि झारखण्ड में लोकतंत्र के इन बुनियादी चीजों का अभाव है। श्री तिवारी ने हेमंत सरकार से अविलम्ब कोरोना इलाज की रियायत दर घोषित करने, स्वास्थ्य व्यवस्था पर समुचित ध्यान देने, अस्पताल प्रबंधन को जवाबदेह बनाने एवं गरीब मरीजों के साथ संवेदनशील व्यवहार करने की मांग की है। उनके साथ भारतीय जनता मोर्चा के सचिव श्री आशीष शीतल, कोषाध्यक्ष, श्री निरंजन सिंह, विमलेश कुमार सिंह, सोनू सिंह सुधाकर चौबे अमृतेश पाठक श्रीमती प्रिया
तिर्की सहित अन्य पार्टी पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता मौजूद थे।