place Current Pin : 822114
Loading...


PCOD और PCOS में क्या अंतर है ?

location_on Delhi access_time 19-Oct-24, 03:23 PM

👁 6 | toll 13



Anonymous
Public

PCOD और PCOS में अंतर PCOD (Polycystic Ovarian Disease) और PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) दोनों ही महिलाओं में पाए जाने वाले सामान्य प्रजनन संबंधी विकार हैं, जो अंडाशय (ओवरी) को प्रभावित करते हैं। हालांकि दोनों की प्रकृति और लक्षणों में समानता है, लेकिन इन दोनों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी हैं। आइए हम इन दोनों स्थितियों के बीच अंतर को बिंदुवार समझते हैं: 1- परिभाषा: PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज): यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अंडाशय सामान्य से अधिक अंडाणु का उत्पादन करता है, जो परिपक्व नहीं हो पाते और ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट के रूप में जमा हो जाते हैं। यह एक बीमारी है और इसका असर ओवरी के कामकाज पर पड़ता है। PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम): PCOS एक मेटाबोलिक और हार्मोनल विकार है, जिसमें एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है। इसमें अंडाशय में सिस्ट बनते हैं और इसका प्रभाव न केवल अंडाशय पर बल्कि शरीर के कई अन्य हिस्सों पर भी होता है। PCOS को सिंड्रोम इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का समूह है। 2- लक्षणों की गंभीरता: PCOD: PCOD में लक्षण कम गंभीर होते हैं। महिलाओं को कभी-कभी अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, और मुंहासे हो सकते हैं। यह एक अपेक्षाकृत सामान्य समस्या है और कई बार महिलाओं को इसके इलाज की आवश्यकता नहीं होती। PCOS: PCOS में लक्षण ज्यादा गंभीर होते हैं। इसमें अनियमित मासिक धर्म, अत्यधिक वजन बढ़ना, चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बाल (हिर्सुटिज्म), इंसुलिन प्रतिरोध, बालों का झड़ना, और बांझपन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। यह एक जटिल समस्या है और लंबे समय तक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। 3- कारण: PCOD: PCOD का मुख्य कारण जीवनशैली और असंतुलित आहार हो सकता है। ज्यादा जंक फूड का सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और तनाव इसके विकास में भूमिका निभा सकते हैं। यह स्थिति अक्सर आहार और व्यायाम में बदलाव से सुधर सकती है। PCOS: PCOS के कारणों में हार्मोनल असंतुलन, इंसुलिन प्रतिरोध, और अनुवांशिकता प्रमुख माने जाते हैं। इसमें एंड्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ा हुआ होता है, जिससे अंडाशय पर सीधा असर पड़ता है। यह समस्या आनुवांशिक हो सकती है और जीवनशैली में बदलाव के साथ हार्मोनल उपचार की भी आवश्यकता हो सकती है। 4- प्रभावित महिलाएँ: PCOD: PCOD आमतौर पर प्रजनन उम्र की महिलाओं में पाया जाता है और यह ज्यादा आम है। यह स्थिति ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है और इससे प्रभावित महिलाओं को गर्भधारण करने में उतनी समस्या नहीं होती। PCOS: PCOS अपेक्षाकृत कम आम है लेकिन यह एक अधिक गंभीर स्थिति है। इस स्थिति में महिलाओं को गर्भधारण में कठिनाई होती है और बांझपन की संभावना भी अधिक होती है। PCOS से प्रभावित महिलाएं अक्सर प्रजनन समस्याओं का सामना करती हैं। 5- प्रजनन क्षमता पर प्रभाव: PCOD: PCOD से पीड़ित महिलाएं सामान्य रूप से गर्भधारण कर सकती हैं। हालांकि, कुछ मामलों में अनियमित पीरियड्स के कारण उन्हें गर्भधारण में थोड़ी मुश्किल हो सकती है, लेकिन यह सामान्यत: गंभीर समस्या नहीं होती। PCOS: PCOS से पीड़ित महिलाओं के लिए गर्भधारण करना कठिन हो सकता है। इसमें अंडाशय नियमित रूप से अंडाणु नहीं छोड़ता है, जिससे बांझपन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। PCOS के कारण महिलाओं को प्रजनन उपचार की आवश्यकता हो सकती है। 6- वजन का प्रभाव: PCOD: PCOD में वजन बढ़ना एक समस्या हो सकती है, लेकिन यह अत्यधिक गंभीर नहीं होता। वजन को नियंत्रित करके और संतुलित आहार का पालन करके इस समस्या को सुधारा जा सकता है। PCOS: PCOS में वजन तेजी से बढ़ता है और यह नियंत्रित करना कठिन हो सकता है। इंसुलिन प्रतिरोध के कारण मोटापा एक बड़ी समस्या बन सकती है। वजन कम करने से PCOS के लक्षणों में सुधार हो सकता है। 7- इलाज: PCOD: PCOD का इलाज सरल होता है और जीवनशैली में सुधार के साथ इसे प्रबंधित किया जा सकता है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन से PCOD के लक्षणों में सुधार देखा जा सकता है। कई बार दवाओं की आवश्यकता भी नहीं होती। PCOS: PCOS का इलाज ज्यादा जटिल हो सकता है। इसके लिए हार्मोनल उपचार, इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने वाली दवाएं, और जीवनशैली में बदलाव आवश्यक हो सकते हैं। इसके साथ ही नियमित चिकित्सा देखभाल और जांच की भी आवश्यकता होती है। 8- दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम: PCOD: PCOD में दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम कम होते हैं। जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है और दीर्घकालिक समस्याओं का सामना कम होता है। PCOS: PCOS में दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम अधिक होता है, जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, और गर्भधारण संबंधी समस्याएं। इस स्थिति में समय पर उपचार न लेने पर ये समस्याएँ गंभीर हो सकती हैं। 9- उम्र के साथ प्रभाव: PCOD: उम्र बढ़ने के साथ PCOD के लक्षणों में सुधार हो सकता है, खासकर अगर जीवनशैली में बदलाव किया जाए। प्रजनन उम्र के बाद इसकी गंभीरता कम हो जाती है। PCOS: PCOS उम्र के साथ भी बना रह सकता है और इसकी जटिलताएँ बढ़ सकती हैं। यह जीवनभर प्रबंधन की आवश्यकता रखता है और इसके लक्षणों को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। निष्कर्ष: PCOD और PCOS दोनों ही महिलाओं में होने वाले अंडाशय संबंधी विकार हैं, लेकिन इनके लक्षण, कारण और गंभीरता में अंतर होता है। PCOD अपेक्षाकृत हल्की स्थिति है और इसे जीवनशैली में सुधार से नियंत्रित किया जा सकता है। वहीं, PCOS एक अधिक जटिल और गंभीर स्थिति है, जिसे नियंत्रण में रखने के लिए चिकित्सा उपचार, जीवनशैली में बदलाव, और दीर्घकालिक देखभाल की आवश्यकता होती है। अगर किसी महिला को PCOD या PCOS के लक्षण महसूस होते हैं, तो उन्हें डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ताकि सही उपचार और प्रबंधन की योजना बनाई जा सके।



Post News & Earn


गूगल प्ले से डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें। Get it on Google Play