स्वस्थ जीवन जीने के लिए मनुष्य की शैली आयुर्वेद के अनुसार होनी चाहिए। आयुर्वेद का उद्देश्य रोगी को निरोगी करना है तथा निरोगी को निरोगी रखना है।
जीवन शैली - पाश्चात्य शैली के चलते हम जल्दी बूढ़े हो रहे है एक 20 साल के नोजवान के जोड़े दर्द के रहे है किसी के डियाबिटिस रोग है टीपी हमे इन सबसे बचने के लिए आयुर्वेद को अपनाना पड़ेगा आज मैं आपको एक सामान्य जीवन के बारे मे बताता हु फिर कभी ऋतु अनुसार जीवन शैली की चर्चा करेंगे।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त मे उठे। नित्य कर्म से निपटे। उसके बाद किसी ग्राउंड या गार्डेन मे जाये। वही पर प्राणायाम करे तथा ध्यान करे। इससे शरीर मे बल हल्कापन इत्यादि हो जाते है उसके बाद वही पर नीम अर्क अर्जुन आदि से दातुन करे ध्यान रहे ये मार्केट वाले कृत्रिम उत्पाद प्रयोग मे न ले।
इसके बाद पसीना सूखने के बाद स्नान करे। इससे अग्नि तीव्रता आयुवर्धन बल वर्धन आदि होते है।
खाये हुए आहार को पच जाने पर हितकारी पथ्य भोजन उचित मात्रा मे ले विरुद्ध आहार न ले भोजन के 1 घंटे बाद पानी पिये
हमेशा दूध के साथ किसी भी फल का सेवन न करे
'दूध केले का आज कल प्रचलन है आपको जानकार आश्चर्य होगा की ये विरुद्ध आहार है जिसका की साथ मे प्रयोग न होना चाहिए
दिन मे शयन न करे
मल्मुत्रदि वेगों को न रोके
ज्यादा दुख मे दुखी न हो तथा ज्यादा खुशी मे खुश न हो
हमेशा अपने क्रियाकलापों का विचार दिनचर्या रात्रिचर्या का समीक्षण करते रहना चाहिए