हजारीबाग संसदीय सीट पर किसे मिलेगी जीत, किसके सिर पर होगा ताज, 4 जून को खुलेगा राज
हजारीबाग संसदीय सीट के भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल को पटेल के पैंतरे ने झटका दे दिया है।
भाजपा नेता मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल के पाला बदलने से राजनीतिक हलकों में होली से ज्यादा राजनीति खुमार चढ़ने लगा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि हजारीबाग में भाजपा के विजयी रथ को जयप्रकाश भाई पटेल रोक सकते हैं। इंडी गठबंधन से इस संसदीय सीट के प्रत्याशी पटेल को बनाए जाने से चौकाने वाला परिणाम सामने आ सकता है। हालांकि अभी किसी परिणाम तक पहुंचना जल्दबाजी होगी। मगर वर्तमान समीकरण कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं।चुनाव के ऐन वक्त भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसे पटेल की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और दूरगामी सोच से जोड़कर देखा जा रहा है। जयप्रकाश भाई पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम कर एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है ऐसा माना जा रहा है। भाजपा से मनीष जायसवाल को हजारीबाग संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल सकते में थे। माना जा रहा है कि इस सीट से बतौर लोकसभा प्रत्याशी उनकी दावेदारी चल रही थी। हजारीबाग संसदीय सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा का खुद प्रतिनिधित्व करने तथा आगामी विधानसभा चुनाव में मांडू विधानसभा से पत्नी ललिता को कमान सौंपने की उन्होंने अन्दर ही अंदर तैयारी कर रखी है। भाजपा में रहकर उन्हें उनकी मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही थी। चूँकि भाजपा परिवारवादी राजनीति का विरोध करती रही है।बड़कागांव,मांडू, बरही ,विधानसभा में पटेल को लोकसभा चुनाव में मैदान अपने पक्ष में आता दिख रहा है। इंडी गठबंधन की ओर से हजारीबाग संसदीय सीट से प्रत्याशी होने पर मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण पक्ष में होने की भी उन्हें संभावना दिख रही है ।दूसरी तरफ अपने अग्रज रामप्रकाश भाई पटेल की मृत्यु के उपरांत भतीजे गौरव पटेल की झामुमो में बढ़ती पैठ भी उन्हें अंदर ही अंदर खल रही है। चूँकि पटेल को यह भय सता रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में झामुमो की ओर से कहीं गौरव ने दावेदारी कर दी और सीट उन्हे दे दी गई तो उनकी सोच पर पानी फिर जाएगा ।समझा जाता है कि मुस्लिम मत और झामुमो को साधने की गरज से उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा है। उनकी दूरगामी सोच तभी पूरी हो पाएगी जब उनकी सोच पर इंडी गठबंधन हजारीबाग संसदीय सीट से उन्हें प्रत्याशी बनाती है । माना यह भी जा रहा है कि हजारीबाग संसदीय सीट की शर्त पर ही पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।बहरहाल पटेल के पाला बदलने से भाजपा के हजारीबाग संसदीय सीट के प्रत्याशी मनीष जायसवाल की बेचैनी उनके इस कदम से महसूस की जा सकती है कि जैसे ही जयप्रकाश भाई पटेल ने दिल्ली में कांग्रेस का दामन थामा। इसकी खबर पूरे देश भर में फैली। आनन फानन में जायसवाल ने विष्णुगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ आपात बैठक बुलाई ।लोगों का भरोसा जीतने का भरसक प्रयास किया। हालांकि जायसवाल की बैठक में जो लोग मौजूद थे, कुछ को छोड़कर सारे लोग जयप्रकाश भाई पटेल के खास माने जाते हैं। राजनीति में स्थायी तौर पर कोई किसी का दुश्मन और दोस्त नहीं माना जाता है। बहरहाल हजारीबाग संसदीय सीट को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है ।जयप्रकाश भाई पटेल के पाला बदलने से इंडी गठबंधन को हजारीबाग संसदीय सीट पर नुकसान या लाभ होगा यह चार जून को पता चलेगा।पटेल के पार्टी बदलने की यह दूसरी राजनीतिक घटना है। झामुमो से नाराज होकर उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी।झारखंड की माटी की उपज पार्टी कही जाने वाली झामुमो के कद्दावर नेता मांडू विधायक और सांसद टेकलाल महतो की मौत के उपरांत उनके छोटे पुत्र जयप्रकाश भाई पटेल को यह सीट मिली थी। पूरे देश में मोदी लहर महसूस किया जा रहा है। ऐसे में पटेल हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के हाथ को मजबूत कर पाएंगे या अपना राजनीतिक वजूद खो बैठेंगे यहां यह बड़ा सवाल है। अब देखना है की जयप्रकाश भाई पटेल कांग्रेस को जातिगत वोटो की समीकरण ,मुस्लिम मतदाता का समर्थन के साथ पार्टी से नाराज घटक समूहों का समर्थन पंजा को मजबूत स्थिति प्रदान करता है या मनीष जायसवाल की आम लोगों में सुलभता के साथ उपस्थिति ,कोरोनाकाल से अब तक सदर विधानसभा क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए कार्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की लहर में पंजा कही डूब ना जाय और भाजपा के 400 चार सौ के आंकड़ा में हजारीबाग का भी एक स्थान बन जाय