करगली संवाददाता संदीप कुमार सिंह का रिपोर्ट-
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करगली(बेरमो)। विस्थापित नेता कैलाश ठाकुर ने कहा कि बेरमो विधायक को झारखंंडीयों को गुंडा बोलना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। यही बेरमो के मुल वासियों, अल्पसंख्यक आदिवासियों, दलित पिछड़ा ग्रामीणों ने मतदान कियें, जिससे आज वे विधायक हैं। जिसके कारण झारखंड राज्य के गर्भगृह में बैठतें हैं। बेरमो की जनता को अपने चुने हुए प्रतिनिधि से सवाल करनें का अधिकार हैं। बेरमो विधानसभा में लगभग लगभग चार लाख जनता हैं। क्या ये संभव हैं सभी से राज्य के मुख्यमंत्री से मिलवा सकें। सभी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी तय हैं। मुख्यमंत्री से लेकर वार्ड पार्षद तक लोगों के सवाल को जवाब देना कर्तव्य हैं। इससे पूर्व भी अपने दल के नगर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वार्ड पार्षद का समाजिक बहिष्कार के लिए जवहर नगर के लोगों से बोल चुके हैं। ऐसा बोलना कहीं से भी उचित नहीं हैं। अब समय वैसा नहीं रहा जब आप किसी को जाति सुचक शब्द बोलकर अपमानित कर सके। अदिवासी, मूलवासी, दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक समुदायों को गुंडा बदमाश बोलकर अपमानित करें। अगर अपने कर्यशैली में बदलाव नहीं हुआ तो यही जनता ने आपको विधायक के सीट पर बैठाया हैं, यही जनता उतारने का भी काम करेगा। झारखंड मुक्ति मोर्चा के घोषणा पत्र में स्थानीयें आधारित 1932 का कानून बनेगा ये उनका वादा था। जनता ने उन सवालों को विधायक के द्धारा सरकार तक अपनी बात पहुचने का प्रयास था, इसका प्रवाधान हैं। किसी का नीजि मद का पैसा नहीं हैं। हमसभी का टैक्स के पैसे से ही सरकार विकास का कार्य करती हैं। लोकतंत्र में जनता ही मालिक होता हैं। तभी तो घर घर जाकर हाथ जोडकर वोट मंगाते हैं। चुनाव जितने के बाद अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना सही नहीं हैं। मैं इसका घोर निंदा करता हू।