गोमिया। जिसके अधीन कोरोना संक्रमण विस्तार पर अंकुश लगाने की जिम्मेवारी हो और वहीं संक्रमण बढ़ाने का माध्यम बन जाए तो तीसरी लहर से झारखंड को बचाने के सरकार की सारी तैयारियां धरी की धरी रह जायेगी ऐसा ऐसा क्यों न कहा जाए।
हम बात कर रहे हैं गोमिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जहां संक्रमण फैलाने में भारी लापरवाही देखने को मिल रही है। बीती रात एक 21 वर्षीय महिला को प्रसव पीड़ा के बाद सीएचसी में भर्ती कराया गया था, ऑपरेशन पूर्व हुए रेपीड एंटीजन जांच में महिला कोरोना संक्रमित पाई गई। जिसके बाद महिला की स्थिति गंभीर बता कर रात को ही 108 एम्बुलेंस के माध्यम से बोकारो सदर अस्पताल रेफर कर दिया। एम्बुलेंस कर्मी मरीज को बोकारो अस्पताल छोड़कर बीती रात ही लौट आई और सुबह बिना सेनेटाइज के दूसरे मरीज के इंतजार में अस्पताल परिसर में खड़ी कर दिया गया।
लापरवाही यहीं खत्म नहीं हुई संक्रमित होने की जानकारी महिला के पति तक को भी नहीं दिया और ना सीएचसी में एडमिट होने के दौरान उपयोग किया गया बेड आदि को सेनेटाइज किया गया। क्या इस प्रकार की लापरवाही से कोरोना पर काबू पाया जा सकता है ? क्या यह अस्पताल की जवाबदेही नहीं थी की महिला के पति को जानकारी दे ?
लापरवाही का यह पहला मामला है या इससे पूर्व भी ऐसा हुआ है यह बताना तो मुश्किल है। लेकिन जिस प्रकार से सीएचसी के वर्तमान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी समेत कई स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हैं, लापरवाही को जरूर बल मिलता है कि पूर्व में भी लापरवाहियां हुई होगी।
वहीं इस दौरान अस्पताल में लगातार सैकड़ों मरीजों का आना जाना भी हो रहा है, टीकाकरण से पूर्व कोरोना जांच भी हो रही है, छोटे छोटे बच्चों के साथ परिजन भी पहुंच जहां तहां बेझिझक उठ बैठ रहें हैं। इन दिनों रोजाना अस्पताल में कई महिलाओं का बंध्याकरण हो रहा है, ऐसे में कौन कितना सुरक्षित है यह कह पाना मुश्किल है। क्या यह बहुत बड़े खतरे की घंटी नहीं है, जिस संक्रमण पर अंकुश लगाना निहायत जरूरी है, दायित्व भी स्वास्थ्य विभाग पर है, बावजूद अस्पताल प्रबंधन अनभिज्ञ बना हुआ है।
यह मामला गोमिया बीडीओ कपिल कुमार सीओ संदीप अनुराग टोपनो के संज्ञान में जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन होश में आया और सबकुछ ठीक ठाक कर लेने को बीडीओ को आश्वस्त किया।
-----क्या कहते हैं 108 एम्बुलेंस कर्मी -----
एम्बुलेंस कर्मी तो सबसे ज्यादा भयभीत अपनी नौकरी खोने को लेकर रहते हैं, इसलिए मुंह खोलना ही नहीं चाहते। उनका कहना है कि किसी भी रेफर मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने का आदेश हमलोग को उपर से आता है। इस दौरान यह नहीं बताया जाता है कि मरीज संक्रमित है या सामान्य। अस्पताल भी अंतिम क्षणों में पेपर वर्क कर थमा देती है। उस परिस्थिति में अब हम अपनी सुरक्षा देखें या मरीज की, ऐसे में मरीज को प्राथमिकता देते हैं और सबकुछ जानते हुए भी निकल जाना पड़ता हैं। गाड़ी को सेनेटाइज करने सहित अन्य कोई सुविधा नहीं मिला है। इसलिए सुबह नॉर्मल तरीके से एम्बुलेंस को धोकर खड़ा कर दिया है। लेकिन हमलोग भी चाहते हैं कि हमारे स्वाथ्य का ध्यान रखा जाए। संक्रमित मरीज की जानकारी पूर्व में दी जाए ताकि हम अपने आप को सुरक्षित रखने का कोई उपाय कर सकें। वहीं हमलोग को पीपीई कीट समेत अन्य जरूरी सामान भी उपलब्ध कराया जाए।
गोमिया बीडीओ कपिल कुमार ने डॉ. एच बारला को तत्काल एम्बुलेंस कर्मियों को सोडियम हाइड्रो क्लोराइड उपलब्ध करबे की बात कही है वहीं चिकित्सक डॉ. बारला ने भी कोरोना संक्रमित मरीजों के आवागमन पर पीपीई कीट उपलब्ध कराने की बात कही है।