गोमिया के दनरा गांव जहां बीते दो माह से पसरा है मातमी सन्नाटा, एक की अंत्येष्टि भी नहीं बीतती दूसरे की उठ रही अर्थी, 90 फीसद घरों में बीमारी का प्रकोप, बीते दो माह में 10 लोगों की हो चुकी है मौत, मेडिकल व चिकित्सा व्यवस्था से भी लोग हैं मरहूम
गोमिया। गोमिया प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र हमेशा से स्वास्थ्य सुविधाओं से उपेक्षित रहा है। लोगों को दशकों से इसकी कमी भी खलती रही है, लेकिन क्षेत्र की उपेक्षा और तंत्र के उदासीन रवैया का खामियाजा उन्हें कोरोना काल मे सबसे अधिक भुगतना पड़ रहा है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बेरमो अनुमंडल के गोमिया में वायरल फीवर से बड़ी संख्या में लोग बीमार हो रहे हैं। अभी महामारी का दौर थमा भी नहीं है कि गोमिया प्रखंड अंतर्गत चुट्टे पंचायत के दनरा गांव में 90 फीसद घरों में वायरल फीवर और अन्य बीमारियों ने भी एक साथ दस्तक दे दी है। हर घर में लोग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें समुचित इलाज और अन्य सुविधाओं की बात तो दूर, दवा तक नसीब नहीं हो पा रही है। परिणाम यह है कि बीते दो माह में 10 लोगों की मौत हो चुकी है और बीते दो माह से गांव में मातम पसरा हुआ है। स्थानीय लोग बताते हैं कि मरीज घर में इलाज और दवा के बिना बिस्तर पर पड़े-पड़े कराह रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
गुरुवार को दनरा के लालमन सिंह उर्फ बहरा की पत्नी बसंती देवी का देहांत हो गया। मृतका के पुत्र गिरधारी सिंह ने बताया कि उसकी मां बीते दो तीन दिनों से बीमार थी। मंगलवार को विष्णुगढ़ के निजी अस्पताल से इलाज करवाकर लौटे थे और बुधवार की अहले सुबह उसकी मौत हो गई। बताया कि चिकित्सकों द्वारा जानकारी दी गई थी कि उसे बुखार था। गिरधारी ने बताया कि चुट्टे के दनरा गांव में कई लोग अभी भी गंभीर अवस्था में हैं। मौसमी बीमारी या वायरल फीवर से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
इसी प्रकार दनरा के पलायित मजदूर बिनोद सिंह ने बताया कि बीते 9 सितंबर को उसके 8 वर्षीय पुत्र सावन कुमार की मौत हो गई। बताया इस दौरान वह अपने काम पर गुजरात में थे। मौत से पूर्व रात्रि उसकी पत्नी और पुत्र से फोन पर बात हुई थी। अचानक 9 सितंबर को फोन आया कि सावन की मौत हो गई। बताया कि पुत्र के मौत की खबर पर यकीन भी नहीं हुआ क्योंकि पूर्व रात्रि उससे बात हुई थी। बैरंग उन्हें गुजरात मजदूरी का काम छोड़कर उन्हें अपना घर दनरा लौटना पड़ा।
इसीप्रकार बीते 3 सितंबर को दनरा के ऋतु सिंह की पत्नी रतनी देवी (50) की मौत बुखार से हो गया। पति ऋतु सिंह ने बताया कि उसकी पत्नी स्वस्थ थी मौत से तीन दिन पूर्व अचानक बीमार हो गई और बीते 3 सितंबर को उसकी मौत हो गई। बताया कि दनरा की स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में स्थिति बहुत खराब है। अगर निजी प्रैक्टिशनर या पढे-लिखे लोग नहीं होते तो मौतों की गिनती नहीं हो पाती। हर घर में एक-दो लोग बीमार हैं। सरकार से मांग करते हैं कि गोमिया प्रखंड के चुट्टे जैसे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ध्यान दें। इस तरह मरनासन्न स्थिति में छोड़ देना अच्छी बात नहीं है। क्षेत्र में वायरल फीवर, मलेरिया, टाईफायड सभी तरह की बीमारियां आ चुकी हैं।
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दनरा सहित पूरे इलाके में वायरल फीवर और हो रही मौतों से लोग दहशत में हैं। क्षेत्र में दवा दुकान तक नहीं है। सही समय पर लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। उप स्वास्थ्य केंद्र चुट्टे केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। दनरा गांव की जो स्थिति है, उसके अनुसार जल्द से जल्द स्वास्थ्य विभाग को तत्काल शिविर का आयोजन कर स्थिति पर नियंत्रण करना चाहिए, अन्यथा स्थिति कभी भी भयावह हो सकती है।
उपेंद्र महतो, मुखिया प्रतिनिधि
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हमारे गांव दनरा की बहुत ही नाजुक स्थिति बनी हुई है। प्राय: हर घर में वारयल फीवर का असर दिख रहा है। मैं प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से आग्रह करता हूं कि कोई ठोस कदम उठाया जाए और हमारी मदद की जाए। ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी। यह आपदा से कम नहीं है। कम से कम विभाग द्वारा मुफ्त मेडिकल प्वाइंट का आयोजन किया जाए, ताकि स्वास्थ्य परीक्षण कर दवा ले सके।
नारायण महतो, शिक्षक, स्थानीय निवासी
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जो विकट स्थिति इस वर्ष है, ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी। जनता ऐसे संकट के लिए ही अच्छी सरकार चुनती है, लेकिन कोई फायदा नहीं। अभी हर घर में एक-दो लोग बीमार हैं। शहरों में अस्पताल में भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लोगों पर क्या बीत रही है, वही जानते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मांग करते हैं कि इस हालत में अगर आप साथ नहीं हैं तो कब होंगे। अभी लोगों की जान बचाएं। सुदूरवर्ती उग्रवादग्रस्त गांव-गांव में स्वास्थ्य कैंप का आयोजन करें और दवा का वितरण कराया जाए।
जगदीश महतो, चुट्टे ग्रामीण, स्थानीय निवासी
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मेरे इलाके में 10 लोगों के मौत होने के बाद भी यहां न कोई इलाज की व्यवस्था है। जर्जर हो चूके चुट्टे उप स्वास्थ्य केंद्र शोभा बढ़ा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेतागण के स्लोगन से पूरे दीवार पटे पड़े हैं। चुट्टे पंचायत के दनरा गांव मे आई इतनी बड़ी विपत्ति में कोई देखनेवाला नहीं है। मांग है कि पंचायतों में मेडिकल शिविर लगाया जाए, ताकि गरीबों की जो रोजी-रोटी बची है, वह बची रहे।
सुखराम मांझी, निवर्तमान वार्ड सदस्य
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चुट्टे पंचायत के निवर्तमान मुखिया लता देवी ने कहा कि बीते दो माह में दनरा के बासुदेव साव (50), कार्तिक सिंह (60), बिसनी देवी (45), रतनी देवी (50), देवंती देवी (35), शनीचरिया देवी (90), महेंद्र सिंह (28), आशा देवी (40), सावन कुमार (8), बसंती देवी (55) की मौत हो चुकी है। बीते दो माह से पूरा गांव मातम में पसरा हुआ है। एक की अंत्येष्टि पूरी नहीं होती कि दूसरे की मौत होती जा रही है।
चुट्टे पंचायत के दनरा गांव की हालात बेकाबू हो गया है। डॉक्टर की बात तो छोड़ ही दीजिए लोगों को दवा नहीं मिल पा रही है। अस्पतालों को दुरुस्त करने के बजाय बड़ा-बड़ा अस्पताल भवन का निर्माण हो रहा है जो कोई काम नहीं दे रहा है। इस हालत में लोगों की जान खतरे में है, पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विधायक-सांसद को इस क्षेत्र पर ध्यान देते हुए स्वास्थ्य शिविर आयोजन पर विचार करना चाहिए।
इधर चुट्टे के समाजसेवी जगदीश महतो ने मामले से गोमिया विधायक डॉ. लंबोदर महतो को अवगत कराया जिस पर विधायक ने मामले को संजीदगी से लेते हुए बोकारो उपायुक्त से बात की। उपायुक्त के निर्देशन में बुधवार को गोमिया से 4 सदस्यी मेडिकल टीम देर शाम चुट्टे के दनरा गांव पहुंचा। जिसको स्थानीय ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। चुट्टे के नारायण महतो ने कहा कि स्वास्थ्य टीम सूचनोपरांत पहुंचती तो है लेकिन इलाज के नाम पर केवल फोटोशूट करवा कर खाना पूर्ति कर लेती है। काफी विरोध के बाद मेडिकल टीम अपने कार्यों के निष्पादन में जुटी और मरीजों का जांचकर दवादि का वितरण किया।
इधर कुछ लोगों द्वारा गांव में उत्पन्न इस स्थिति को गांव का खराब होने और डायन-भूत होने की बात भी कही जा रही है।
गोमिया सीएचसी प्रभारी डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि मेडिकल टीम प्रभावित गांव गई है, टीम के द्वारा अभी तक रिपोर्ट अप्राप्त है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।