काम ऐसा करो जो समाज के हित में हो ..
हमारे समाज की, हमारे परिवेश की जरूरतें पहचानें और उस दिशा में काम करे, यदि हम ऐसा कर पाते हैं तो सही मायने में यही समाज सेवा है। दरअसल हमारा समाज एक बगीचे की तरह है। इसे हम जितना संवारकेंगे उतने ही सुखद वातावरण में रह पाएंगे। अपनी इस विचारधारा को केवल दिमाग में नही रखा बल्कि उसे अमलीजामा भी पहनाया है, जेपीबी क्लब के सदस्य एवं जय महाराणा रक्तदान समूह के रक्त मित्र शैलू मंडलोई ने ।
16 मार्च 1977 को जन्में शैलू मंडलोई ने 10वीं तक शिक्षा प्राप्त की, समाज सेवा के प्रति रुझान होने के कारण और जरूरतमंद को प्रारंभ से ही रक्तदान करते रहने के कारण अस्पताल में आना जाना लगा रहता था। अस्पताल में रक्त के िलए लोगों को परेशान देख इस कार्य का बीड़ा उठाया। रक्तदान के लिये लोगों को तथा परिवार के लोगों को जागरूक करना तथा किसी भी विशेष दिन अथवा जन्मदिन, वर्षगांठ पर रक्तदान शिविर का आयोजन करना ही शैलू मंडलोई का उद्देश्य बन गया है। इनकी यह पहल थैलेसिमिया के खिलाफ लडाई खंडवा शहर के अलावा, अन्य शहरों से होती हुई पूरे देश में प्रारंभ हो गई है। थैलेसिमिया एक अनुवांशिक रोग है जो नवजात बच्चों में होता है िजसमें बच्चों को हर माह दो बार रक्त चढाना आवश्यक होता है। हमारा यह उद्देश्य है भविष्य में ऐसा बच्चों जो थैलेसिमिया से पीडित हो जन्म ही न ले इस हेतु आज की युवा पीढी को जागृत करने का कार्य शैलू मंडलोई द्वारा किया जा रहा है। शैलू मंडलोई द्वारा परिवार सहित देहदान करने की प्रतिज्ञा की है तथा 46 किलोग्राम वजन में 50 बार रक्तदान किया है जो अपने आप में एक रिकार्ड है। शैलू मंडलोई ने लाकडाऊन में लोगों को प्रेरित कर 1200 से अधिक यूनिट रक्त जुटाया जो बच्चों एवं महिलाओं के उपयोग में लाया गया ।
संदेश : रक्तदान करने सबसे ज्यादा फायदा स्वयं का होता है इसमें व्यक्ति संपूर्ण नि:शुल्क जांचे होती है, नया ब्लड बनता है, हार्टअटैक, बी.पी. संबंधी बिमारियों का डर नही रहता