दो करोड़ की लागत से बना पुल दो माह भी नहीं टिका, मरम्मत कराने पहुंचे पुल निर्माणकर्ताओं को स्थानीय ग्रामीणों के ख़िलाफ़त का सामना करना पड़ा, ग्रामीणों द्वारा मरम्मती कार्य रोका गया, गोमिया विधायक ने लिया संज्ञान
गोमिया। गोमिया के करमाटांड़ और बोकारो-हजारीबाग जिले को जोड़ने वाली करमाटांड़ मे दो करोड़ की लागत से बना पुल दो माह भी नहीं टिक सका। नव निर्मित पुल के बीच में बड़ी दरारें पड़कर दो हिस्सों में क्षतिग्रस्त होना शुरू हो गया है।
वहीं एप्रोच सड़क पूरी तरह से ध्वस्त होने के खबर Gomia Inbox - 1 औऱ O2O SELL में प्रकाशित होने के बाद पुल निर्माणकर्ता रविवार की शाम पुल पहुंचकर मरम्मती कार्य शुरू किया। शुरुआत में ही निर्माणकर्ताओं को स्थानीय ग्रामीणों का ख़िलाफ़त का सामना करना पड़ा। दर्जनों की संख्या में पहुंचे स्थानीय लोगों ने पहले तो मरम्मती कार्य को बंद कराया दूसरे में क्षतिग्रस्त होने पर पहुंचे निर्माणकर्ताओं पर जमकर बरसे।
बता दें कि मरम्मती कार्य करा रहे पुल निर्माणकर्ता व खुद को संवेदक बता रहा एक व्यक्ति पेलोडर और रोलर लेकर सड़क मरम्मत कराने करमाटांड पहुंचे थे। भारी विरोध कर रहे स्थानीय ग्रामीणों ने पहले विभाग के मुख्य अभियंता को बुला कर ढहे निर्माण कार्य दिखाने की बात कह मरम्मती कार्य को रुकवा दिया। कहा कि पुल का निर्माण कार्य दोबारा कराया जाए। इस दौरान ग्रामीणों और अपने आप को संवेदक बता रहे एक व्यक्ति के बीच नोकझोक भी हुई।
स्थानीय गन्दौरी राम ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान जब गुणवत्तापूर्ण निर्माणकार्य कराने की बात कही जा रही थी, उस समय हमारी बातों को संबंधित लोगों दर्जनों बार अनसुना कर दिया गया। आज जब नव निर्मित पुल ध्वस्त होने के कगार पर खड़ा है तो मरम्मती कार्य कराने पहुंचे हैं। बताया कि पुल के शुरुआती दौर से हीं भ्रष्टाचार हावी रहा। कई बार मौजूद संबंधित पुल निर्माण के कार्य मे लगे ठेकेदार व मुंशी के द्वारा न तो ठेका कंपनी को उपलब्ध कराया गया वर्क आर्डर दिखाया गया न तो गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य के लिए कोई पहल किया गया। बताया कि और तो और निर्माण कार्य के लिए जिन रैयतों की सिंचाई खेतों के इस्तेमाल किया गया उसे भी अब तक मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया। बताया कि दो जिलों को जोड़ने वाली जीवन रेखा जैसी एकमात्र सड़क के पुल का इतने कम समय मे जर्जर होना लोगों के जन-जीवन पर आघात जैसा पीड़ादायक है।
वहीं खम्हरा पंचायत के उप मुखिया राजेश साव खम्हरा ने बताया कि वास्तविक संवेदक पहले किसी और पेटी कॉन्ट्रेक्टर को यह काम दिया जिसके बाद पेटी कॉन्ट्रेक्टर के द्वारा पुल बनाने का शुरू किया गया। बताया कि जर्जर गार्डवाल पर बना पुल पूर्व से ही दरारों में तब्दील हो रही थी। चक्रवाती तूफान यास की लगातार बारिश में उक्त पुल दो हिंस्सों में बंट गया है। बताया कि नाम मात्र के जर्जर गार्डवाल मिट्टी की बंधाई को भी बर्दाश्त नहीं कर सका और पूरी तरह ध्वस्त हो गया। परिणामस्वरूप पुल भी कई हिस्सों में जर्जर व दरारों में विभक्त हो गया। पुल से लगे एप्रोच सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि उस पर आवागमन कभी भी हमेशा हमेशा के लिए रुक सकता है।
इसी प्रकार करमाटांड़ निवासी सोनाराम बेसरा ने बताया कि निर्माण कार्य के वक्त से उक्त पुल, गार्डवाल और एप्रोच सड़क में दरारों का दौर जारी था। संवेदक द्वारा जहां जहां भी दरारें पड़ती वहां सीमेंट घोलकर व लेप लगाकर ढंक दिया जा रहा था, औऱ तो और सड़कों व एप्रोच सड़क पर 15-20 मीटर की गहरी लंबी दरारों को रात के अंधेरे में संवेदक द्वारा जेसीबी से मिट्टी डालकर ढंकने का भी काम किया गया। बताया कि भ्रष्टाचार की नींव से तैयार हुआ उक्त उच्चस्तरीय करमाटांड़ पुल को उद्घाटन से पहले हीं आवागमन के लिए चालू कर दिया था। वर्तमान में पुल के ऊपर से रोजाना रेत और गिट्टी से भरे भारी वाहनों, हाइवा, ट्रेलर आदि का भी निकलना हो रहा है। अगर कोई ट्रेलर, हाइवा या अन्य भारी वाहन उक्त सड़क से गुजरता है तो उसके वहीं फंसने या बड़ी दुर्घटनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं पुल के जर्जर होने के बाद भी प्रशासन द्वारा पुल पर हो रहे आवागमन को बंद नहीं कराया गया है। जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
सूचनोपरांत पहुंचे गोमिया विधायक
ग्रामीणों और पुल निर्माणकर्ताओं के बीच तीखे बहस के बाद उप मुखिया के आग्रह पर गोमिया विधायक डॉ. लंबोदर महतो घटनास्थल पहुंचकर खुद नवनिर्मित पुल का मुआयना किया। ऑन स्पॉट पथ निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार से फोन और बात कर पहले टीम गठित कर पुल में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने की बात कही। उन्होंने कहा कि पहले टीम निर्माण कार्य की जांच करेगी फिर मरम्मती कार्य या अन्य कार्य शुरू किया जाएगा। विधायक के आने की सूचना के पूर्व ही कथित निर्माणकर्ताओं ने अपने पांव वापस खींचते हुए घटनास्थल से रफ्फूचक्कर हो गए।
गौरतलब है कि करमाटांड़ के समीप बने पुराने पुलिया के जर्जर होने पर वर्ष 2018-19 में शासन द्वारा पुराने पुलिया के पास नवीन उच्चस्तरीय पुल बनाने की मंजूरी दी गई थी। शासन की मंजूरी के बाद पुल बनाने का ठेका पथ निर्माण विभाग द्वारा वर्ष 2019 में एक ठेका कंपनी को दिया गया।
उक्त पुल 2020 में पूरा करना था, लेकिन कंपनी द्वारा निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही के कारण पुल जनवरी 2021 में बनकर तैयार हो सका। खास बात यह है कि कॉन्ट्रेक्टर द्वारा देरी से काम पूरा किए जाने को लेकर विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन निर्माण के दौरान ठेका कंस्ट्रक्शन कंपनी घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया था। जिसके चलते नया पुल दो महीने में ही जर्जर हो गया।
बता दें कि गोमिया और करमाटांड़ के बीच लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत से बने पुल उद्घाटन से पहले ही कई गहरी दरारें आ गई हैं। बोकारो और हजारीबाग को जोड़ने वाले इस पुल का निर्माण अप्रैल-2021 में ही हुआ है और वाहनों का भार तो दूर पहली बरसात भी नहीं झेल सका।
वर्तमान में इस पुल से गुजरना खतरे से खाली नहीं है। फिलहाल उक्त पुल से सभी तरह के भारी वाहनों का आवागमन जारी है। प्रशासन के द्वारा आधिकारिक तौर पर नव निर्मित जर्जर पुल के ऊपर से हो रहे आवागमन को अब तक बंद नहीं कराया गया है।
इधर गोमिया के पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद ने इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर अपने बीते 09 दिसंबर 2020 को किए शिकायत पत्र को सही ठहराते हुए। सूबे के मुख्यमंत्री से उक्त पुल के भ्रष्टाचार युक्त हुए निर्माण कार्य मे दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।